एक दीवाली ऐसी भी

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दीवाली की रात थी वो,

रोशन था हर घर आँगन

बच्चों बूढ़ों सब के लबों पे सजी मुस्कान थी

कहीं फुलझरी तो कहीं कोई मिठाइयों से खुश था..

इसी बीच था घर उसका भी

जहां एक सजनी कर रही अपने साजन का इंतजार थी..

लाल जोरे में सजी,

वो बैठी थी किए सोलह श्रींगार

आरती की थाली सजाए

बैठी कर रही थी वो उसका इंतजार

आने वाला था जो,

करवा के छः महीने का इंतजार..

आँखें उसकी टिकी हुई थी,

दरवाज़े पर ही

जाने कब आ जाए वो

जिसका था उसे इंतजार

दिल में ज़ज्बात कई उमर रहे थे उसके

सजी होठों पे मुस्कान भी गा रही थी गीत मिलन के...

धड़कन उसकी बढ़ी कुछ यूँ,

जब उनके आगमन की गूँज उस तक पहुंची..

उठ खड़ी हुई वो

करने उनका स्वागत

लज्जे से हुई पानी पानी वो

आया उसका सिपाही शादी के बाद पहली बार था जो..

भागी वो दरवाज़े पे

देखने को पहली झलक उसकी

टूटे सारे अरमान उसके

देखा जब आया वो अकेला ना

लाए उसके साथी थे उसे

कंधे पे बिठाए अपने..

गिर गई पूजा की थाली हाथ से उसके,

भागी वो अपने सिपाही के पास

जो हो गया शहीद करते करते

अपने देश का नाम ऊँचा

भले ही आया ना हो वो करने अपने घर को रोशन

पर कर गया था वो अपने देश का नाम रोशन..

भले ही दे गया वो सफ़ेद चादर अपनी सजनी को

पर रंग दी उसने अपने लहू से अपनी माँ के अंचल को

बेशक वो पूरा कर ना पाया किया वादा अपनी सजनी से

लेकिन बखूबी पूरा किया हर वो वादा जो किया था उसने अपनी वर्दी से

हाँ दिए जला ना पाया वो अपने आँगन में

लेकिन बुझने ना दिया दिए उसने किसी और के आँगन के..

Wish you all a very happy Diwali 💓 💓

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