अधूरा इश्क

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जो तुझे भी मुझ से प्यार होता, 

तो समझता मेरे ज़ज्बात को.. 

जो होती थोड़ी भी ज़ज्बात तेरे दिल में, 

तो मेरे दर्द को तू भी समझ पाता.. 

जो तुझे ईलम मेरे होने का होता, 

तो इस तरह तू मेरे प्यार को अनदेखा ना करता.. 

कैसे मैं तुझे ये बताऊँ, 

कैसे अपने होने का एहसास दिलाऊ.. 

कैसे तुझे ये हाल - ए - दिल सुनाऊँ,

जब तू सब जान के अंजान बन रहा है.. 

तेरा ये अन देखा पन मुझे अंदर ही अंदर 

झिंझोड रहा है, 

जो सांसे है वो तिल तिल कर के टूट रही है.. 

तु बेशक मुझे मिल ना सकता इस जन्म में, 

तो क्या हुआ, 

मैं तेरा इंतजार करूंगी अगले हर जन्म में.. 

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