प्रेम

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ना हर बार जताना ही प्रेम है, 
ना हर बार बताना ही प्रेम है, 
ये तो दिल के अनमोल डोर है, 
जिससे निभाना ही प्रेम है!! 

ना किसी को अपनाना ही प्रेम है, 
ना किसी के लिए किसी को ठुकराना ही प्रेम है, 
सच्चे मन से जो किसी का आदर करे, 
वही तो प्रेम है!! 

ना मन की बात दबाना प्रेम है, 
ना अंग की प्यास बुझाना प्रेम है, 
एक दूजे को सही गलत की पहचान करा, 
आगे बढ़ना ही प्रेम है!! 

ना किसी को झुकाना प्रेम है, 
ना किसी को उठाना प्रेम है, 
हाथ पकड़ हर चुनौती को पर कर लेना ही, 
सच्चा प्रेम है!! 

अपने अन्तर आत्मा को जगाना, 
किसी के सहमे इच्छाओं को बढ़ाना, 
खुद के साथ दूसरों को भी बढ़ाना, 
यही तो प्रेम है!! 

~Anamika

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