86. 'Kalam'

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इतिहास को सुनहरे पन्नो पे लिखा है मैंने,

वर्तमान को कोरे कागज पे उतारा है|

भविष्य कि की है कल्पना मैंने,

मेरे लेखन ने जीवन ये तेरा संवारा है|

कहते हैं मेरी ताकत तलवार से भी परे,

हर चाल पे शह और मात भी दे जाऊँ मैं|

मैं जो चल जाऊँ, तख्त-ओ-ताज पलट दूँ तेरा,

जो ना चलूँ तो राज़ ही रह जाऊँ मैं|

एक कवि की रचना मेरे बिन अधूरी है,

बिन मेरे एक लेखक की कहानी भी कहाँ पूरी है|

ना मै हूँ तो गुरू के बोल ना अंकित हो पाए,

बिन मेरे शिष्य का ज्ञान अधूरा रह जाए|

कलम, तुलिका, लेखनी, कई नाम है मेरे|

काम, कोरे कागज में रंग भरना है मेरा|

मेरी कीमत जो ऐ इनसान गर तूँ जान जाए,

नाम इस जहान में ऊँचा है तेरा...

नाम इस जहान में ऊँचा है तेरा|

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Hey AmazZzing Pals

My dedication to every writer's best friend ... 'Pen'.

Love you all😘

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