तू
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इक् तू है जो कुछ सुनता हि नहीं
एक दिल है जो कुछ समझता हि नहीं
और एक हम हैं जो मजबूर से बैठे हैं
ना तू सुनेगा, ना दिल समझेगा
ना तू बोलेगा, ना दिल सुकून पायेगा
ना मजबूरी ख़तम होगी ना मेरी सांस में सांस आएगी
सफर ख़तम हो जायेगा
ना मुझे मांजिल मिलेगी
ना दिल को राहत आएगी।
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