तुम

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तुम आना तो पर न आना किसी ख्वाब की तरह,
कि जो बस इक रहगुजर कि महमाँ हो।

आना पर नहीं किसी मेहमान की तरह,
जो आये, खैरियत पूछे और अपने रस्ते हो।

आना, नहीं उस हसीं लडकपन की तरह,
जो जिन्दगी भर को बस ख्वाब हो जाये।

आना तो बस सांस की तरह,
जो जाये तो बस जान जाये।

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