दुनिया बदल देते हम तेरे लिए,
मुद्दा बस इतना था, कि तेरी चाहत ही छोटी थी।
हममें ताकत थी नयी दुनिया बनाने की,
तुम्हें चाहत बिना कुछ किए सब पाने की।
निभता साथ कैसे तेरा मेरा,
मैं धूप सुबह की, तू रात, वो भी मैखाने की।
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