तोहफा

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अजीब इत्तेफाक है।
कि मिला है यार भी मुझे वो
जो कल ही रुला के आज पूछता है
कि रोये क्यों ।

कहें तो क्या उसे?
कि तेरी हंसी कबूल,
तेरे खुशी कबूल,
तेरे गम कबूल,
तेरे अश्क कबूल।
गर मिले तोहफे मे तुझसे
तो दुनिया की हर तोहमत कबूल।

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