दिलासा

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आज फिर मां ने पूछा तेरे बारे में
आज फिर मैंने झूठे मजाक में बात टाली है।

कभी मिलता है जैसे अरसे से तरसा हो मेरे लिए
कभी यूं अनदेखी कर जाता है
मानो तेरे दिल में आज भी उसके लिए ही बस जगह खाली है।

मिल कभी कहीं किसी रोज
जैसे मिला था मुझसे पहली दफा,
झूठा ही सही दिल की तसल्ली को दिलासा काफी है।।

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